उत्तराखंड
बुजुर्ग दम्पति को बेटे ने निकाला घर से,डीएम बंसल ने सम्पत्ति वापस दिलाकर बुजुर्गों के चेहरे पर लौटाई मुस्कान,हर तरफ हो रही बंसल की सराहना

रिश्ते खून के दगा दे जाते हैं जहां,कोई रहनुमा बनाकर आ जाता है वहा…
देहरादून-यह लाइनें देहरादून के डीएम सविन बंसल पर सटीक बैठती हैं …..कहते हैं भगवान के दरबार में लोग रोते हुए जाते हैं और हंसते हुए लौटते हैं, ठीक वैसे ही देहरादून के डीएम सविन बंसल के दरबार में भी कोई खाली हाथ नहीं लौटता। बीते दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसने ये साबित कर दिया कि इंसाफ़ अगर दिल से हो, तो नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है।
देहरादून के बुजुर्ग दम्पति परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर का बेटा गुरविंदर सिंह गिफ्ट डीड में मिली सम्पत्ति पाकर उन्हें ही घर से बाहर कर चुका था। इस सदमे में माता-पिता दर–दर भटकने लगे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और पहुंचे डीएम सविन बंसल की अदालत में।
डीएम बंसल ने मामले को गंभीरता से लिया और पहली ही सुनवाई में गिफ्ट डीड को रद्द कर सम्पत्ति दोबारा बुजुर्ग दम्पति को लौटा दी। बेटे द्वारा की गई शर्तों की नाफरमानी पर डीएम ने अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल कर न्याय का ऐसा फैसला सुनाया, जिसने इंसाफ की गरिमा को नई ऊंचाई दी ओर हर तरफ डीएम बंसल के फैसले की सराहना हो रही है।
फिर मुस्कुराया घर का आंगन
इस फैसले से बुजुर्ग दम्पति की आंखों में आंसू आ गए, मगर इस बार ये आंसू दर्द के नहीं….बल्कि सुकून और ख़ुशी के थे। वो बेटे जिसने माता–पिता को घर से दूर किया, वही घर अब उन्हें फिर से मिल गया। डीएम बंसल का यह कदम केवल कानूनी कार्यवाही नहीं था, बल्कि एक टूटते परिवार को जोड़ने की कोशिश भी थी।

न्याय, संवेदना और सेवा की मिसाल
बुजुर्ग परमजीत सिंह ने लगभग 3080 वर्गफुट की सम्पत्ति अपने बेटे के नाम की थी….जिसमें शर्त थी कि बेटा उनकी देखभाल करेगा और पोते–पोती को उनसे नहीं रोकेगा। लेकिन बेटा अपनी जिम्मेदारी से मुकर गया। डीएम बंसल ने त्वरित सुनवाई कर बेटे की नाफरमानी पर बड़ा कदम उठाया और माता–पिता को उनका हक़ दिला दिया। डीएम कोर्ट का ये फैसला सिर्फ एक केस का निपटारा नहीं….बल्कि समाज को ये संदेश भी देता है कि कोई भी बेटा अपने माता–पिता के साथ अन्याय करेगा तो कानून चुप नहीं बैठेगा।




