उत्तराखंड
अब पछताए क्या होत है,जब चिड़िया चुग गई खेत….
कोटद्वार-नगर निगम कोटद्वार की हालिया बोर्ड बैठक में एक ऐसा प्रस्ताव पारित हुआ जिसने स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है। बैठक में पारित एक प्रस्ताव के तहत नगर क्षेत्र में लगाए जाने वाले साइन बोर्डों पर विधायक का नाम न लिखे जाने की बात सामने आई है। केदार दर्पण में इस खबर के प्रकाशित होने के बाद सत्ता पक्ष के पार्षदों में हड़कंप मच गया है…जो अब इस प्रस्ताव को लेकर असहज नजर आ रहे हैं।

यह मुद्दा सामने आने के बाद पार्षदों ने नगर आयुक्त को पत्र सौंपते हुए प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की है। हैरानी की बात यह है कि अब पार्षद दावा कर रहे हैं कि उन्हें इस प्रस्ताव की जानकारी नहीं थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्रस्ताव बैठक में पारित हो रहा था…तब पार्षद कहां थे और क्यों चुप थे ?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या पार्षद जानबूझकर चुप रहे ? क्या यह विधायक से नाराज़गी का संकेत है ? इस चुप्पी ने पार्षदों की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद विधायक की ओर से तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है।बताया जा रहा है कि उन्होंने पार्षदों को फटकार लगाई है…और इस विषय पर किसी से बात करने से भी इनकार कर दिया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में नगर निगम इस प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाता है।भविष्य में कब क्या हो जाये कोई नही जानता।भविष्य में यदि शहरी विकास मंत्रालय का पद दीदी को मिल जाता है तब निगम की स्थिति बिन पानी मछली जैसी हो जाएगी।




