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पांच घंटे डोली में अटकी सांसें, सपना बनी घेरुवा-मलाणा की सड़क,सरकार के दावों को खोखला साबित करती तस्वीर

कोटद्वार-सोचिएं आपका कोई परिचित गंभीर रूप से बीमार हो और वह पल-पल सांसों के लिए तरस रहा हो तो आपकी क्या स्थित होगी। लेकिन,जहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत चौबट्टाखाल विधानसभा के ग्राम मलाणा के ग्रामीणों के लिए यह स्थिति मानो सामान्य सी हो गई है।

आजादी के कई दशकों बाद भी यह गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। आज भी ग्रामीणों की जिंदगी पिनस (डोली) के सहारे ही चल रही है। कुछ ऐसी तस्वीर सोमवार को भी देखने को मिली। जहां गांव के दिगंबर प्रसाद जुयाल की तबीयत अचानक खराब हो गई थी। ग्रामीण उन्हें पिनस से सतपली हंस फाउंडेशन के अस्पताल लेकर पहुंचे।

हालांकि, अब दिगंबर प्रसाद जुयाल की स्थिति ठीक है। लेकिन, गांव की चढ़ाई उतरने के दौरान करीब तीन घंटे तक परिवार व गांव वालों की चिंता बढ़ी हुई थी। दरअसल,घेरुवा-मालाणा मोटर मार्ग का फरवरी माह में लोकनिर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने शिलान्यास किया था। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब उनका गांव सड़क सुविधा से जुड़ जाएगा। लेकिन, ग्रामीणों की उम्मीद धरातल पर नहीं उतर पाई है। शासन से सड़क स्वीकृत होने के बाद अब सड़क वन कानूनों के पेच में फंस गई है। इसके चलते ग्रमीण पांच किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ने को मजबूर हैं। सड़क के अभाव में मलाणा गांव लगातार खाली होता जा रहा है। पिछले एक वर्ष के भीतर समय पर उपचार न मिलने से दो व्यक्तियों की मौत भी हो चुकी है।

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