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जान जोखिम में डाल प्रतिबंधित पुल पर कर रहे आवाजाही,मुख्यमंत्री ने औचक निरीक्षण के बाद नही ली सुध,खस्ताहाल पुल से जाने को विवश स्कूली बच्चे

कोटद्वार-आपदा से क्षतिग्रस्त हुए कोटद्वार गाड़ीघाट पुल के बाद आमजनमानस अब जान जोखिम में डाल कर पुराने झुलापुल से आवाजाही करने को मजबूर हैं जो की किसी खतरे से खाली नहीं है,ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है,क्योंकि पुराना झूला पुल पहले से ही दयनीय स्थिति में होने के चलते बन्द कर दिया गया था….

ओर आवाजाही प्रतिबंधित का बोर्ड भी लगा दिया गया था।जोकि आज भी लगा हुआ है।इसी पुल से छोटे छोटे बच्चे भी स्कूल जाने को मजबूर हैं।लेकिन बावजूद इसके इस ओर किसी का ध्यान नही, जो की अपने आप में बड़ा सवाल है, बता दें न ही शासन प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है और न ही संबंधित विभाग,हालांकि मुख्यमंत्री इस पुल का औचक निरीक्षण करके गए थे उसके बाद किसी ने सुध नही ली न ही स्थानीय विधायक ने दुबारा उधर का रुख किया।पीडब्ल्यूडी ने जरूर खानापूर्ति के लिए एक चेतावनी बोर्ड लगाया है,लेकिन इसके बावजूद भी स्थानीय लोग इस पुल पर बेरोकटोक आवाजाही कर रहे हैं,महज एक चेतावनी बोर्ड लगा देने से क्या संबंधित विभाग की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है या फिर विभाग भी शायद किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है,सवाल बड़ा है…गौरतलब है की कोटद्वार गाड़ीघाट पुल रतनपुर, कुंभीचौड़, लालपानी, सनेह, विशनपुर, जीतपुर आदि जगहों के वासिंदो के आवागमन को लेकर एक सुगम मार्ग था,लेकिन आपदा के चलते पुल क्षतिग्रस्त हो गया,वहीं नए पुल से पूर्व का झूला पुल जिसे की बंद कर दिया गया था,आज उसी पर लोग जान जोखिम में डालकर आ जा रहे हैं…ओर उनकी सुध लेने वाला कोई नही है या फिर विभाग और नेताओं को फिर किसी हादसे का इंतजार है।

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