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उत्तराखंड

लैंसडाउन में भूमाफियाओं ने बांज के 9 पेड़ काटे,ग्रामीणों में आक्रोश

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लैंसडाउन विधानसभा के मंजीना गाँव से चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहाँ भू माफियाओं ने रात के अंधेरे में जंगल में घुसकर बांज के करीब 9 पेड़ों को काट डाला। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में आक्रोश है और ग्रामीणों ने इसे जंगलों पर हो रहे संगठित हमले के रूप में देखा है।

ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से संगठित गिरोह पहाड़ी जंगलों को निशाना बना रहे हैं। विडंबना यह है कि स्थानीय लोगों को जंगल से घास लेने तक पर रोक लगाई जाती है, लेकिन भू माफिया बिना डर के बड़े पेड़ों पर आरी चला रहे हैं।

बांज: पहाड़ का ‘हरा सोना’ बांज (Oak) को उत्तराखंड का हरा सोना कहा जाता है। यह पेड़— पहाड़ की मिट्टी को भूस्खलन से बचाता है जलस्रोतों को पोषित करता है पर्वतीय पर्यावरण का आधार माना जाता है ऐसे पेड़ों का कटना सिर्फ प्राकृतिक नुकसान नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। 

स्थानीय लोग दुखी और चिंतित हैं। उनका कहना है  कि जब बांज जैसा कीमती पेड़ तक सुरक्षित नहीं, तो हमारे पहाड़ की रक्षा कैसे होगी?

ग्रामीणों ने प्रशासन से माँग की है कि इस घटना की गंभीर जांच हो…जंगलों को नुकसान पहुँचाने वाले गिरोह पर कठोर कार्रवाई की जाए और क्षेत्र में पेट्रोलिंग व निगरानी बढ़ाई जाए, 

प्रकृति के लिए बड़ा खतरा

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में जल संकट, मिट्टी कटाव और भूस्खलन जैसी समस्याओं को और तेज़ कर सकती हैं। मंजीना गाँव की यह घटना बताती है कि पहाड़ों के जंगल आज गंभीर खतरे में हैं, और यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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