Connect with us

उत्तराखंड

पनियाली स्रोत पर बने पुश्ते हुए खोखले,सम्बंधित विभाग लिखित में शिकायत का कर रहे इंतजार…जितने के बाद पार्षद भी नदारद

Ad

कोटद्वार– कोटद्वार के गिवाई स्रोत में हर साल बरसात तबाही लेकर आती है। 2017 और 2023 की आपदाओं के जख्म आज भी लोगों के दिलों में ताज़ा हैं। अब एक बार फिर मॉनसून की दस्तक से लोगों की नींद उड़ गई है। आइए आपको दिखाते हैं एक ऐसी जगह की ज़मीनी हकीकत, जहां बरसात का मतलब है….खतरा, तबाही और पूरी रात जागकर बिताना।यह स्थिति वार्ड नम्बर 12 की है।

वीओ 1 – कोटद्वार का गिवाई स्रोत इलाका जहां हर साल बरसात लोगों के लिए मुसीबत बनकर आती है। नदी किनारे बसे ये परिवार 2017 और 2023 की विनाशकारी आपदाएं आज भी नहीं भूले हैं। उस समय घरों में पानी के साथ मलबा भी घुस आया था। लोग रातों-रात बेघर हो गए, घर का सामान बर्बाद हो गया….और जान का खतरा मंडराने लगा। यहां जैसे ही तेज़ बारिश होती है, लोग पूरी रात जागते हैं। डर इस बात का नहीं कि बारिश होगी….डर इस बात का है कि कब नदी का पानी उनके आंगन में दाखिल हो जाए।

ग्राफिक्स: 2017 और 2023 की आपदा के दौरान नुकसान…..

दर्जनों घर जलमग्न,लाखों का नुकसान व राहत कार्यों में देरी

वीओ2 –  नदी पर बनी पुलिया के नीचे अक्सर पेड़ और मलबा फंस जाता है, जिससे पानी की निकासी रुक जाती है। नतीजा ….पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। स्थिति और भी गंभीर तब हो जाती है जब नदी किनारे बनाए गए पुश्ते खुद ही खोखले हो चुके हों। किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

वही स्थानीय निवासियों का कहना है कि जीतने के बाद पार्षद ने एक बार भी उनकी सुध नहीं ली है।हमने तो पार्षद की शक्ल तक नही देखी है।वोट मांगने के समय पर हाथ जोड़ते हैं बाद में गायब हो जाते हैं।

हम रात-रात भर जागते हैं… बच्चों को उठाकर छत पर बैठाते हैं… कब मलबा घुस जाए कुछ भरोसा नहीं।2017 में जो हुआ वो अब भी याद है… सरकार ने कुछ काम नहीं किया, हम फिर उसी डर में जी रहे हैं।सिंचाई विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।बीते दो साल से पुश्ता बनने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सम्बंधित विभाग के कानों पर जूं तक नही रेंगती है।मीडिया के द्वारा संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि हमारे पास किसी ने भी लिखित में शिकायत नही की है।

फाइनल वीओ –  बरसात केवल पानी नहीं लाती…ये उन लोगों के लिए आफ़त बन जाती है, जिनका घर नदी के किनारे है। कोटद्वार के गिवाई स्रोत के लोग आज भी उसी चिंता में जी रहे हैं….अब सवाल ये उठता है क्या इस बार बच पाएंगे ?

More in उत्तराखंड

Trending News