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उत्तराखंड

कोटद्वार की बदहाल हालत: नाले बने मुसीबत, सड़कें दे रही हादसों को न्यौता,जनप्रतिनिधि ओर सम्बंधित विभाग बेखबर

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कोटद्वार-शहर की सूरत संवारने के नाम पर जो काम शुरू हुए थे, वे अब लोगों की मुसीबत बनते जा रहे हैं। कुछ समय पहले नगर निगम और पीडब्ल्यूडी की संयुक्त टीम ने कोटद्वार के विभिन्न हिस्सों में नालों की सफाई और पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया था। इस दौरान त्रिलोक होटल से लेकर देवी रोड तक नालों पर बने पुराने चबूतरों को तोड़ा गया और पीडब्ल्यूडी द्वारा इन नालों को बनाया जा रहा है।यह काम बरसात से पहले होने चाहिए थे।जिससे बरसात में दिक्कतें नहीं आती।बरसात में इंद्र देव में बरसने लगे कोई नही कह सकता ऐसे में होने वाले काम कई बार बारिश के पानी में बह जाते हैं।
लेकिन अफसोस यह काम भी *सिस्टम *की लचर कार्यप्रणाली का शिकार हो गया। आधे-अधूरे निर्माण और बिना योजना के किए गए इस काम ने अब बरसात के दिनों में लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। नाले के पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने से पानी गदेरे में जाने की बजाय लौटकर सड़कों पर आ रहा है।परिणामस्वरूप सड़कें कीचड़ और पानी में डूबी हुई हैं….और हादसों को दावत दे रही हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर एक बार भी मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने की ज़रूरत नहीं समझी। नालों की हालत तो खराब है ही अब तो सड़कें भी धंसने लगी हैं।कई जगहों पर सड़कें इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।मिक्स होटल के बाहर सड़क की बहुत बुरी स्थिति है गड्ढो में सड़कें ढूंढनी पड़ रही हैं और ऐसे में सड़क का खोखला होना भी चिंता का विषय है।लोक निर्माण विभाग को सड़कों की बदहाल स्थिति नजर नहीं आ रही है या देखना नही चाह रहा यह तो विभाग ही जानें…….

जनता को उम्मीद थी कि इस बार शहर को बेहतर बनाने के लिए जनप्रतिनिधि जिम्मेदारी से काम करेंगे।लेकिन अब तो ऐसा लग रहा है कि जनता की उम्मीदें भी इस पानी में बह चुकी हैं।

पहले कहा जाता था कि नगर निगम कांग्रेस के हवाले है….इसलिए विकास की रफ्तार थमी हुई है।यह कहना गलत होगा कि कॉंग्रेस की मेयर हेमलता नेगी के समय पर कोई काम नही हुआ।काफी काम उनके समय मे भी किये गए थे।
लेकिन अब तो सरकार के तीन-तीन इंजन चल रहे हैं।केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय,फिर भी शहर की दिशा और दशा बिगड़ती जा रही है।चुनावों के समय सब्जबाग दिखाने वाले जनप्रतिनिधि कुर्सी पर बैठते ही जनता को भूल जाते हैं।हैरानी की बात यह है कि विपक्ष भी चुप्पी साधे हुए है।

वही पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता ने बताया कि जो नालों पर बने जो चबूतरे तोड़े गए थे उनको हमारे द्वारा बनाया जा रहा है और जो कमी हो गई है उसको ठीक किया जाएगा।जो नाले बनाये जा रहे हैं वह खुले ही रहेंगे जिससे समय समय पर उन नालों की सफाई की जा सके।

कभी-कभी तो यही लगता है कि जैसे *गंगाधर ही शक्तिमान है और शक्तिमान ही गंगाधर*… यानी सब कुछ एक ही खेमें में सिमट गया है और जनता खुद को ठगा सा महसूस कर रही है ओर सवालों के जवाब के लिए सिर्फ ताकती रह जाती है।

अब सवाल यही है:
क्या कोटद्वार की यह हालत यूं ही बनी रहेगी?
क्या जनता की आवाज़ सुनी जाएगी?
या फिर यह शहर भी राजनीतिक उपेक्षा का शिकार बनता रहेगा, खामोशी की चादर ओढ़ लेगा…..यक्ष प्रश्न?

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