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उत्तराखंड

महापुरुष के नाम से बने पार्क पूर्वी मालवीय उद्यान को निगम का कार्यालय भवन बनाने के लिए मेयर ने दिए डीपीआर तैयार करने के आदेश


कोटद्वार-मेयर शैलेंद्र रावत ने पूर्वी मालवीय उद्यान को नगर निगम के कार्यालय भवन के लिए उपयुक्त स्थान बताते हुए भवन निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए।

कोटद्वार का दिल कहे जाने वाला मालवीय उद्यान,जो ना सिर्फ इस शहर की पहचान है बल्कि यहां के हर निवासी के दिल से जुड़ा हुआ है वह अब नगर निगम के मेयर के नये ‘विकास’ प्रस्ताव का शिकार हो सकता है। वर्षों से कोटद्वार के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाने वाला यह पार्क, अब सिर्फ इसलिए खतरे में है क्योंकि मेयर साहब को “विकास” के नाम पर बिल्डिंग बनाने की सूझी है।

मालवीय उद्यान जो मदन मोहन मालवीय जी के नाम पर अभिमान और गौरव का प्रतीक बना हुआ है, अब मेयर साहब के दृष्टिकोण में सिर्फ एक भूखंड भर रह गया है…जहां उनका ‘विकास’ प्रेम बेकाबू हो गया है। पार्क को हटाकर बिल्डिंग बनाने के विचार से यह सवाल उठता है कि क्या हमें अपनी धरोहर और संस्कृति को तिलांजलि दे देनी चाहिए ?

क्या यह वही ‘विकास’ है, जिसकी कोटद्वार को जरूरत है ? क्या महज कुछ इमारतों के लिए इतिहास और संस्कृति को लील लिया जाएगा ? इस सवाल का जवाब अब कोटद्वार के नागरिकों को अपने नेताओं से चाहिए, जो इस ऐतिहासिक स्थल के साथ खेलने का विचार कर रहे हैं।

मेयर साहब से यह सवाल पूछें कि क्या यही उनका ‘विकास’ है लोगों के दिलों में बसे पार्क को खोकर शहर की शक्ल बदलने का सपना देखना?

वही कॉंग्रेस के गुड्डू चौहान का कहना है कि मालवीय उद्यान पार्क कोटद्वार की जनभावनाओं से जुड़ा है।निगम का कार्यालय भवन बनाने के लिए जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने उचित नहीं है।झंडा चौक ह्रदय है तो दोनों मालवीय उद्यान कोटद्वार की किडनी हैं।शहर का विकास होना बहुत जरूरी है।लेकिन जनभावनाओं को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए।

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