उत्तराखंड
लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने की प्रेस वार्ता
कोटद्वार-कोटद्वार में लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने बताया कि इस मार्ग के निर्माण को लेकर वो पिछले कई वर्षों से प्रयासरत है। बताया कि जब जब भाजपा की सरकार सत्ता में आई, उन्होंने इस विकास के मार्ग को रोक दिया।मार्च 2003 को कोटद्वार गेंडीखाता लालढांग मार्ग प्रथम चरण के लिए 91 लाख 50 हजार रूपए स्वीकृत कराए गए। जिसके बाद सितंबर 2005 को EPI कंपनी के साथ वन मार्गों के सुदृढ़ीकरण को लेकर MOU साइन किया गया।

अगले चरण में जुलाई 2006 में अपर प्रमुख सचिव उत्तराखंड द्वारा इस मार्ग के निर्माण के लिए आदेश जारी किया गया। जिसमें कुल 13 किलोमीटर वन मार्ग के निर्माण के लिए DPR लागत 280 लाख बनाई गई। जिस पर EPI कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया पूरी करते हुए निर्माण करने की अनुमति प्रदान की। और इसके बाद मार्च 2007 में सत्ता परिवर्तन होते ही इस मार्ग के निर्माण को बीजेपी सरकार द्वारा मौखिक रूप से रोका गया। साथ ही 20 सितंबर 2007 को शासनादेश संख्या 4465 द्वारा EPI कंपनी को इस मार्ग पर निर्माण न करने का आदेश जारी किया गया।
इस दौरान 2007 से 2012 तक कोटद्वार के विधायक शैलेंद्र रावत थे और तब लालढांग चिल्लरखाल मार्ग पर कोई काम नहीं हुआ,ओर न ही रावत ने इस मार्ग को बनवाने के लिए कोई प्रयास किया।जो काम हो रहा था उसे भी रोक दिया गया।नेगी ने बताया कि 2012 में फिर कांग्रेस सत्ता में आई और तब भारत सरकार की नई गाइड लाइन के तहत स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड से इस मार्ग को बनाने की सहमति लेते हुए फिर पूरी ताकत के साथ विकास के इस मार्ग को बनाने का प्रयास किया गया। जिसके बाद दिसंबर 2014 में इस मार्ग पर एलिवेटेड फ्लाईओवर और रोड निर्माण के लिए स्वीकृति ली गई, जिसकी लागत 418 लाख रुपए थी। और तब नवंबर 2016 में 706 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई और PWD पौड़ी द्वारा टेंडर आमंत्रित किए गए और तब टेंडर खोले गए। जिसके बाद फिर एक बार भाजपा की सरकार उत्तराखंड में आई और तब इस मार्ग को इतना उलझा दिया गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।अब



