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10 हजार की गुल कैसे बनी करोड़ो की। लैंसडाउन के विधायक द्वारा सीबीआई जांच की मांग के बाद लैला भी हो सकती है सलाखों के पीछे।

10 हजार की गुल कैसे बनी करोड़ो की।
लैंसडाउन के विधायक द्वारा सीबीआई जांच की मांग के बाद लैला भी हो सकती है सलाखों के पीछे।
कोटद्वार में एक गुल जोकि मात्र दस हजार की मालिक थी आज उसके पास बेहिसाब दौलत है।आखिर पांच सालों में ऐसी कौन सी लॉटरी निकली है जो वारे न्यारे हो गए ओर ऐशोआराम का जीवन यापन करने लगी।जी हां आपको

बता दें भाजपा की जीरो टोरलेन्स की सरकार में यह मुमकिन हो पाया है।भाजपा सरकार में एक कद्दावर नेता की शह पर दस हजार की गुलमोहर आज करोडों की बन बैठी है।प्रचंड बहुमत से जीती भाजपा ने चुनावो से पहले ही एक कद्दावर नेता को लात मारकर बाहर का रास्ता दिखा दिया था।धामी सरकार के इस फैसले का सभी ने स्वागत किया था।

2017 के चुनावों के दौरान भाजपा में शामिल हुई गुल ने कद्दावर नेता का भरपूर फायदा उठाया और करोड़ों में खेलने लगी नेता जी भी गुल को फायदे पहुंचाने के लिए शहर के विकास को दरकिनार कर अपने कुछ खास चाहने वालों के विकास में लग गये।शहर की जनता की समस्याएं जस की तस बनी रही लेकिन उन पर कोई सुनवाई नहीं हुई जिस जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ वोट दिए थे वह जनता खुद को बेबस और ठगा हुआ महसूस करने लगी नेता के मुंह लगे चाटुकारों के कारण आम जनमानस अपनी बात रख पाने में असमर्थ हो गया वही कद्दावर नेता अपने चाहने वालों पर खास मेहरबानी दिखाते रहे।जो लोग कल तक सामान्य सा जीवन यापन कर रहे थे वह बड़ी-बड़ी गाड़ियों और कोठियों के मालिक बन बैठे गुल का जादू ऐसा चला सालों पुराने ओएसडी को भी बाहर का रास्ता दिखवा दिया। नियमों को ताक पर रखकर इस गुल के एनजीओ को लाखों और करोड़ों का अनुदान दिया गया आखिर किस मानक के रहते , जबकि यह गुल वही है जो 10000 की मालकिन थी और आज करोड़ों की है और रिहाइसी इलाके में करोड़ों का मकान बनाकर रह रही है यही नहीं इस गुल ने अपने भाई को भी करोड़ों का मकान बनाकर दे दिया है आखिर क्या भाजपा सरकार इस गुल और उस नेता पर कार्यवाही कर पाएगी बताते चलें कि अब लैंसडाउन से जीते दिलीप रावत ने आब हलचल मचा दी है उत्तराखंड सरकार में उन्होंने इस कद्दावर नेता के खिलाफ सीबीआई की जांच की मांग कर दी है और अब लैला के फंसने की भी पूरी उम्मीद नजर आ रही है क्योंकि इस एनजीओ को इस कद्दावर नेता द्वारा मानकों के विपरीत पैसा दिया गया वह 3 साल के अंतर्गत दिया गया जबकि कोई भी एनजीओ संस्था 3 साल तक कोई भी सरकारी अनुदान प्राप्त नहीं कर सकती लेकिन ऐसा अन्य सरकार में क्या हुआ कि इस गुल को इतने करोड़ों रुपए से नवाजा गया

विधायक लैंसडाउन महंत दिलीप रावत द्वारा भी जांच की मांग की गई है वह रंग क्या खिलाएगी यह तो आने वाला भविष्य बताएगा और गर्भ में छिपा है लेकिन अब दबी जुबान से लोग यही कह रहे हैं कि ईडी और आयकर विभाग भी नेता के साथ-साथ लैला को भी अपने चंगुल में फंसा सकती है

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