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उत्तराखंड

कोटद्वार का विकास किसमें ?घंटाघर 🔔 या शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में-पूछता है कोटद्वार

कोटद्वार-कोटद्वार जिसे गढ़वाल का द्वार भी कहा जाता है,हमेशा किसी न किसी कारण से चर्चा में रहता है। हाल ही में कोटद्वार को घंटाघर और इंडिया गेट की सौगात मिलने की खबर आई है। घंटाघर के निर्माण के लिए जमीन की नाप-जोख भी शुरू हो गई है…हालांकि इस विकास परियोजना पर सवाल उठ रहे हैं।

शहर के विकास के लिए यह जरूरी है कि वह विकास जनता के हित में हो।घंटाघर का निर्माण कोटद्वार के विकास में कितना योगदान देगा…यह एक बड़ा सवाल है।इतिहास में जब घड़ियाँ नहीं होती थीं तब घंटाघर बनाए जाते थे ताकि राहगीर समय देख सकें।लेकिन क्या वर्तमान समय में कोटद्वार को ऐसे प्रोजेक्ट की आवश्यकता है ?

कोटद्वार को असल में मेडिकल कॉलेज, सैनिक स्कूल, और बेस अस्पताल में डॉक्टरों की जरूरत है।यहां के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए देहरादून, दिल्ली, कोटा जैसे शहरों की ओर जाने को विवश हैं, जिससे उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। अगर शहर में उचित शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हों, तो यह गरीब परिवारों के लिए भी एक अवसर बन सकता है।

इसके अलावा कोटद्वार की ऐतिहासिक धरोहर जैसे कण्व आश्रम का सौंदर्यकरण किया जा सकता है, जिससे पर्यटक वहां आएं और राजा भरत के बारे में जान सकें।

इस बीच घंटाघर के निर्माण को लेकर कोटद्वार में विरोध भी चल रहा है। पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि प्रशासन जनता की वास्तविक जरूरतों को समझे और उसी के अनुसार विकास योजनाएं बनाए।

कोटद्वार का विकास शिक्षा,स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करने में है,न की केवल प्रतीकात्मक परियोजनाओं पर।प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को कभी कभी किसी प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले जनता के मन को भी टटोल लेना जरूरी है।क्योंकि दोंनो ही जनता के हित के लिए कार्य करने के लिए बाध्य हैं।

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