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उत्तराखंड

ठांगर गांव में खुले में शौच करने गए बच्चे पर गुलदार के हमले से सरकार,सिस्टम की खुली पोल,घर मे शौचालय न होने से कार्तिक बना गुलदार का शिकार

★शौचालय का ढोल पीटने वाली सरकार की खुली पोल

★ खेतो में शौच करने गए 6 वर्षीय बच्चे पर गुलदार का हमला आखिर कौन जिम्मेदार, सिस्टम या सरकार

कोटद्वार-भारत को स्वच्छ बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किये जा रहे हैं।इस वक्त 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है।केंद्र व राज्य सरकार घर घर शौचालय बनाने ओर स्वच्छता अभियान पर ढेरों विज्ञापन चला रही है।सरकारें शायद विज्ञापन तक ही सिमट कर रह गई हैं।कार्तिक के घर मे शौचालय न होना सिस्टम ओर सरकार दोनों को ही सवालों के कटघरे में खड़ा करता हैं।ऐसे में स्वच्छता पखवाड़ा एक ढोंग साबित हो रहा है।

आपको बताते चलें कि विगत 20 सितम्बर को द्वारीखाल विकासखण्ड के ग्राम ठांगर में घर के पास ही शौच के लिए गए एक छह वर्षीय बच्चे को गुलदार ने हमला कर घायल कर दिया।बच्चे के पास ही शौच कर रही उसकी छोटी बहन के शोर मचाने पर ताऊ वहां पहुंचे और उनके शोर मचाने पर गुलदार भाग निकला। ग्राम प्रधान ठांगर सोनम देवी ने बताया कि शनिवार सुबह 7 बजे घर पर शौचालय न होने के कारण घर से दस मीटर की दूरी पर मोहन सिंह के बच्चे कार्तिक (6) और माही (4) शौच कर रहे थे। इसी दौरान निकट ही झाड़ियों में घात लगाकर बैठे गुलदार ने बच्चे पर हमला कर दिया। गुलदार कार्तिक को घसीटते हुए 20 मीटर नीचे खेतों में ले गया। कार्तिक की छोटी बहन माही के चिल्लाने पर बच्चों के ताऊ कुलदीप सिंह मौके पर पहुंचे। कुलदीप ने गुलदार के पास पहुंचकर हल्ला मचाया। जिससे हड़बड़ाया गुलदार बच्चे को छोड़कर भाग खड़ा हुआ। घायल कार्तिक को परिजन हंस फाउंडेशन चमोलीसैंण जहां से राजकीय संयुक्त चिकित्सालय, सतपुली लाए। जहां से फर्सट ऐड कर घायल बच्चे को एम्स, ऋषिकेश रेफर कर दिया गया। बच्चे की गर्दन और सर पर गुलदार के दांतों के गहरे निशान हैं। इधर घटना के बाद से गुलदार दिन में दो-तीन बार घटना स्थल पर दिखाई दिया। कार्तिक पर हमले और गुलदार के लगातार दिखाई देने से ठांगर समेत आसपास के गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग से गांव में पिंजरा लगाकर गुलदार को पकड़ने और तब तक गश्त लगाने की मांग की है लेकिन इस घटना ने करोड़ो विज्ञापन पर खर्च कर शौचालय का ढोंग पीटने वाली सरकार और सिस्टम की पोल खोल दी है ओर कई सवालो को जन्म दे गई, आखिर कौन है दोषी सिस्टम या सरकार ?

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