उत्तराखंड
पालिका से निगम बनने के सफर में साथ साथ चलता मैं हूँ अतिक्रमण,1 से लेकर 40 वार्ड तक पसरा अतिक्रमण,निशाना बद्रीनाथ व गोखले मार्ग ही क्यों ?
कोटद्वार-कोटद्वार से लेकर भावर तक अतिक्रमण पसरा हुआ है।पालिका के समय पर कोटद्वार में कुल 11 वार्ड आते थे।कोटद्वार से अतिक्रमण हटाने के लिए भी कुछ ही जगह चिन्हित थी।जिनमे गोखले मार्ग सबसे व्यस्त क्षेत्र होने के चलते वहाँ पर रेड़ी,फड़,ठेली वालों के द्वारा अतिक्रमण किया हुआ था और वर्तमान में भी है।बद्रीनाथ मार्ग पर फुटपाथ पर दुकानदारों का कब्जा बताया गया।2018 में कोटद्वार का पालिका से निगम का सफर शुरू हुआ ओर पूरा कोटद्वार 40 वार्डों में बंट गया।
निगम के सफर के साथ साथ अतिक्रमण का विस्तार भी बढ़ने लगा।कोटद्वार से भावर तक जगह जगह अतिक्रमण होने के बाद भी कभी कार्यवाही नहीं हुई।भावर क्षेत्र भी निगम का ही हिस्सा होने के बाद भी वहाँ से अतिक्रमण हटाने की बात कभी नहीं उठती है।कोटद्वार को अतिक्रमण मुक्त करने के नाम पर बद्रीनाथ मार्ग ओर गोखले मार्ग की पालिका के समय बनी लिस्ट ही आज तक ज्यो की त्यों चल रही है।हालांकि बद्रीनाथ मार्ग से बीते सालों में कई बार अतिक्रमण हटाया गया।लेकिन सिर्फ बद्रीनाथ मार्ग से ही हटाया गया और अब विधानसभा अध्यक्ष ने भी मान लिया है कि अतिक्रमण सिर्फ इन दोनों स्थानों पर ही है।विधानसभा अध्यक्ष ने निगम को आदेशित किया है कि जल्द ही अतिक्रमण पर कार्यवाही की जाए और कार्यवाही की रिपोर्ट दी जाए।जबकि निगम के पूरे 40 वार्डों में अतिक्रमण पसरा हुआ है।अगर जरूरत है तो बस देखने भर की।
वही व्यापारियों का कहना है कि अतिक्रमण सभी जगह पर है लेकिन अतिक्रमण हटाने में भी भेदभाव किया जा रहा है और पुराने व्यापारियों को बर्बाद करने का मंसूबा बना रखा है।
निगम के आयुक्त से विधानसभा अध्यक्ष के सचिव के द्वारा भेजे पत्र के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि निगम को अतिक्रमण हटाने के संदर्भ में एक पत्र भेजा गया है।जिसमे जल्द ही कार्यवाही करने की बात कही गई है।