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उत्तराखंड

अधिकारियों की खींचातानी कोटद्वार की जनता पर पड़ने वाली है भारी,लापरवाही बरतने पर 85 पर्यावरण मित्रों को दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता

कोटद्वार-कोटद्वार नगर निगम में वर्तमान में 40 वार्ड है।पालिका के समय पर इसमें 11 वार्ड बने हुए थे।सभी वार्ड में लोहे के कूड़ादान रखे हुए थे।पालिका के समय मे पुराना सिद्धबली मार्ग,विधुत विभाग के समीप,नजीबाबाद रोड पर डॉ खट्टर के बाहर,गुरुनानक वेडिंग पॉइंट,ऑर्मी कैंटीन,गुरुद्वारा,एएसपी कार्यालय के पीछे,आम पड़ाव,लकड़ी पड़ाव,पेंसिल फैक्ट्री व कालाबड़ में लोहे के कूड़ेदान रखे हुए थे।इनमें से कुछ क्षेत्र पहले पालिका में नहीं आते थे और वहां पर सालों से सेकेंडरी पॉइंट्स बने हुए थे।

कूड़ादान रखे होने के बाद भी लोग कूड़ा आसपास फ़ेंक देते थे।जिससे वहां पर गंदगी रहती थी।निगम बनने के बाद लोहे के सभी कूड़ेदानों को हटा दिया गया ओर गोयल डेयरी,पुराने चर्च रोड व अन्य कई जगह पर पूरी तरह से पर्यावरण मित्रों के द्वारा कूड़ा डालने पर रोक लगा दी गई।वर्तमान में वह स्थान कूड़ा मुक्त हो गए।सीमेंट के बने सेकेंडरी पॉइंट्स पर पर्यावरण मित्र शहर का कूड़ा लाकर डालते हैं वहाँ से ट्रैक्टर ट्रॉली के माध्यम से ट्रेचिंग ग्राउंड में डाला जाता है।पालिका के समय के बने सेकेंडरी पॉइंट्स वर्तमान में भी बने हुए हैं।उक्त जितने भी सेकेंडरी पॉइंट्स वर्तमान में हैं वह सभी बाजार क्षेत्र में आते हैं ओर पूरे दिन किसी न किसी के द्वारा वहां कूड़ा फेंका जाता रहता है।अधिकारियों की खींचातानी हो या जनप्रतिनिधियों की लापरवाही हमेशा कोटद्वार की जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।पर्यावरण मित्रों को बड़ी संख्या में बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।जिलाधिकारी जो कि वर्तमान में निगम के प्रशासक भी हैं उन्होंने पत्राचार के माध्यम से शहर में साफ सफाई न होने पर निगम से जबाब मांगा।जिस पर लगभग 85 पर्यावरण मित्रों पर लापरवाही दिखाने ओर साफ सफाई न रखने पर निगम कार्यवाही करने जा रहा है।बरसात के मौसम है यदि समय पर कूड़ा नहीं उठेगा ऐसे में महामारी का खतरा हो जाएगा और शहर में बदबू से लोगों का जीना दुश्वार हो जाएगा।निगम का क्षेत्र जरूर बढ़ा है कर्मचारियों की संख्या कम होने से निगम में ही नही सभी विभागों में मैनपावर कम होने से समस्या बनी हुई है।जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं देते हैं।वही पूर्व पार्षद कमल नेगी का कहना है जिसने भी जिलाधिकारी जो कि वर्तमान में निगम के प्रशासक भी हैं उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।

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