उत्तराखंड
कोटद्वार तहसील के चलते हैं अपने ही नियम कानून,कैसे पता चले अधिकारी है या नहीं,जनता हुई कार्यालय के बंद दरवाजे से परेशान
कोटद्वार-कोटद्वार तहसील किसी न किसी बात को लेकर चर्चा में रहती है कुछ दिन पहले पूर्व एसडीएम और वकीलों की तनातनी के कारण चर्चा में रही…ओर फिर कार्यालय का दरवाजा बंद करके कार्यालय में बैठने की नई परंपरा बना दी।इसी परंपरा को आगे वर्तमान एसडीएम ने बरकरार रखा।

हालांकि वह स्थाई रूप से कोटद्वार नहीं बैठती हैं क्योंकि लैंसडाउन का चार्ज भी उन्हीं के पास है।जिसके चलते कोटद्वार तहसील में इन दिनों एसडीएम की स्थाई तैनाती न होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।जिसके कारण लोग दूर-दूर से आते हैं और अधिकारी को न पाकर वापस जाने को विवश है।वही जब एसडीम तहसील में बैठी होती हैं उनके कार्यालय का दरवाजा बंद रहता है या कह सकते है थोड़ा सा खुला होता है जिससे लोगों को संशय रहता है एसडीम कार्यालय में है या नहीं…ओर कई बार अपनी समस्या को लेकर आये पीड़ित वापस लौट जाते हैं।
यह नया चलन पूर्व एसडीएम के द्वारा चलाया गया जबकि किसी भी सरकारी कार्यालय का दरवाजा कहीं भी बंद नहीं होता है।पौड़ी गढ़वाल की डीएम के कार्यालय का दरवाजा खुला रहता है।लेकिन कोटद्वार तहसील अपने ही नियम कानून पर चलती है।

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