उत्तराखंड
फायर वाचरों को वनाग्नि में स्वयं की सुरक्षा के लिए मिलने वाली सामग्री के लिए करना पड़ता है बजट का इंतजार,वनाग्नि में फंसकर कई बार गवां देते हैं जान
कोटद्वार-प्रभागीय वनाधिकारी वन प्रभाग लैंसडौन वन विभाग के द्वारा अग्निकाल जिसमें वनों में आग के खतरे बढ़ जाते हैं।यह काल 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक माना जाता है।वनाग्नि से वनों की सुरक्षा व वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग कार्य योजना बनाता है लेकिन वह इतनी देर से होती है कि करोडों की वन संपदा जलकर खाक हो जाती है।वनाग्नि को रोकने ओर बुझाने के लिए फायर वाचरो की सबसे अहम भूमिका होती है।कभी कभी वनाग्नि में फंस जाते हैं और इनकी जान भी चली जाती है।अप्रैल से लेकर जून तक वनाग्नि का खतरा सबसे ज्यादा होता है।ऐसे में फायर वाचरों को वन विभाग की तरफ से खाद्य पदार्थ के अलावा ओर भी सामग्री दी जाती है।जूते, हेलमेट, टॉर्च व अन्य कई सामग्री फायर वाचरों को उनकी अपनी सुरक्षा के लिए दी जाती हैं।लेकिन वह काफी देर से मिलती है।अप्रैल में नए बजट पर यह सामग्री खरीदी जाती है और फिर वाचरों को दी जाती है।जबकि विभाग को चाहिए वाचरों को यह सामान फरवरी में ही दे दिया जाए।फायर वाचरों को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए।ताकि अपने काम को ओर अच्छे से कर सकें।

उनके लिए एक सप्ताह के राशन के पैकेट बनाकर दे दिए जाते हैं साथ ही से वन एवं वन्यजीवों की रक्षा बेहतर हो, इसके लिए अतिरिक्त फायरवॉचर रखे जाते हैं उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है।विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए इन कर्मियों को आगे भेजा जाता है।ओर इनकी सुरक्षा में लापरवाही बरती जा रही है।वनाग्नि को बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत करते हैं ओर कई बार अपनी जान भी गवां देते हैं।
वही लेंसडाउन वन प्रभाग के डीएफओ आकाश गंगवार का कहना है कि पहले हमारे फायरवाचरकम थे अब बढ़ाकर 100 से अधिक हो गए हैं।जिनको दी जानी वाली सामग्री अप्रैल में नया बजट आने पर खरीदी जाती है और फायर वाचरों को वितरित की जाती है।बीते साल की बची धनराशि से कुछ सामान खरीदा गया है ओर वह बांट दिया जाता है।




