उत्तराखंड
जनता के दिलों में बसने वाले डीएम को मिलेगा ‘लोकरत्न सम्मान’,जानिए क्यों खास हैं सविन बंसल

देहरादून-जनहित में असाधारण फैसलों और प्रशासनिक नवाचारों के लिए पहचाने जाने वाले देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल को कल 7 जुलाई को प्रतिष्ठित ‘लोकरत्न हिमालय सम्मान’ से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान पर्वतीय बिगुल सामाजिक सांस्कृतिक संस्था द्वारा अपने 29वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदान किया जा रहा है। सम्मान समारोह दून पुस्तकालय में शाम 3 बजे आयोजित होगा, जिसके मुख्य अतिथि होंगे पद्मश्री लोकगायक प्रीतम भरतवाण। सम्मान उन्हें राज्य आंदोलनकारियों, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति में प्रदान किया जाएगा। संस्था के अध्यक्ष और फिल्म निर्देशक प्रदीप भंडारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था पिछले दो दशकों से जनसेवा, संस्कृति और पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली विभूतियों को सम्मानित करती आ रही है। इससे पहले संस्था द्वारा रस्किन बॉन्ड, नरेंद्र सिंह नेगी, हरिदत्त भट्ट, और प्रकृति संरक्षण में योगदान देने वाली कई शख्सियतों को यह सम्मान मिल चुका है।

सविन बंसल
क्योंआ मिल रहा है सम्मान?
जिलाधिकारी सविन बंसल ने देहरादून का कार्यभार संभालते ही एक के बाद एक जनहितकारी कदम उठाए हैं,जो प्रशासनिक मिसाल बन चुके हैं।
*132 भिक्षावृत्ति में फंसे बच्चों को स्कूल भेजना
*‘सारथी’ सेवा की शुरुआत, जिससे बुजुर्ग और दिव्यांग निःशुल्क थाना और दफ्तर जा सकें
*आईएसबीटी जलभराव का स्थायी समाधान
*विधवा महिला का बंधक घर तीन दिन में मुक्त कराना
*भूमि विवाद में वर्षों से पीड़ित परिवारों को उनका अधिकार दिलाना
*राज्य आंदोलनकारियों को मान-सम्मान दिलाने की पहल
*स्वास्थ्य केंद्रों की कार्यप्रणाली में सुधार
प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्वक सुनने की पहल, विशेष रूप से बुजुर्गों और कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता उनकी यही कार्यशैली आज उन्हें उत्तराखंड के सबसे चर्चित और लोकप्रिय जिलाधिकारियों में शामिल करती है।
एक अधिकारी, जो बना जनता का हमदर्द
सविन बंसल ने जिलाधिकारी के पद को केवल प्रशासनिक दायरे में सीमित न रखते हुए जनता से सीधे जुड़ाव को प्राथमिकता दी। वे एक प्रशासक के साथ-साथ बुजुर्गों के लिए बेटा, युवाओं के लिए मार्गदर्शक और वंचित वर्गों के लिए सहारा बनकर उभरे हैं। उनके काम करने की शैली में न केवल पारदर्शिता है, बल्कि समाधान की गति भी है। यही वजह है कि जिन जिलों में वे पहले कार्यरत रहे, वहां की जनता आज भी उन्हें याद करती है।




